德里夜行者
Morning Light on the Balcony: A Silent Rebellion in White and Pink
ये तो सिर्फ ‘गलती’ है कि मैं भागने के बजाय खड़ा हो गया! सुबह की रोशनी में सफेद-गुलाबी में डूबा हुआ कोई प्रतिरोध? मैंने सोचा कि ‘अपने आप’ को देखने में ही सब कुछ है। क्या आपके पास भी कोई ‘छुपा हुआ संघर्ष’ है? 😏 #सुबहकीरोशनी #खड़ेरहनाहै
Whispers in the Rain: A Kyoto Poet’s Quiet Reflection on Alice’s Autumn Swim by the Temple Steps
बारिश में किमोनो का पलटन?
अरे भाई! क्या ये है? स्कूल में ‘पहले हाथ से पकड़ो’ सीखा है? मैंने सोचा था कि ‘फोटोग्राफी’ है… पर असल में ‘फुश’ है।
क्या सिर्फ़ कैमरा?
नहीं! क्या ‘आई’ कभी दिखती है? नहीं। सबकुछ ‘उसके’ पर होता है — पानी की बूंद… पुराने कमरे… पढ़न-वाली साँस!
तुम्हारा मजबूर?
ये ‘फ्रेश’ हमेशत्रय’? 🤔
चलो… comment section में ‘शुभकि’ मिलती है?
Not All Silence Speaks: A Photographer’s Reflection on the Weight of Visibility
चुप्पी का बोलना कैमरा ने सिर्फ चेहरा नहीं दिखाया… पर दिल की सांस सुनाई।
अब मैं समझ गया — ‘सिलेंस’ कभी-कभी बहुत आवाज़ होती है।
एक हवाई जहाज़ के दरवाज़े पर खड़ी महिला… मुस्कुराने के बजाय अस्तित्व को प्रदर्शित करती है।
और मैं? मैंने 30 सेकंड में 3000 ‘लाइक’ माँगे!
‘खूबसूरत’ होने के लिए सिर्फ पोज़ मत करो… अपने ‘अभाव’ पर ही प्रशंसा माँगो! 😅
आपको कब पता चला कि ‘चुप’ होना अधिक सफलता है?
#SilenceSpeaks #PhotographyWithSoul #IndianWomenInFrame
The Silence Between Frames: A Visual Poem on Skin, Light, and Unspoken Stories
अरे भाई! ये फ्रेम्स के बीच में सन्नाटा है? मैंने सोचा कि पानी की बौछड़ है… पर हकीमत के साथ?
कल्पना में ‘स्किन’ है? पर ‘फ़ोटोग्राफ़ी’ है।
पिछले कभी मम्मी कहतीं — ‘सन्नाटा खालीपन नहीं… संपूर्णता है!’
एक पुलिस स्टेशन पर 4 Baje… कोई छत्र नहीं… कोई मेकअप नहीं… सिर्फ़ ‘आँखें’।
ये ‘सिलेंस’ हमारे-दिल्लीवालों का पुज़्ज-बुक है।
आपको कभी किसका फ्रेम में टेयर पड़ा? 😅
#थिस_इज_ए_विजुअल_पोएम #इट_इज_अबाउट_यू #कमेंट_सेकशन_ओपन
個人介紹
दिल्ली के रातों के नाम से छिपी हुई महिलाओं की कहानियाँ। एक फ़ोटोग्राफर जो सिर्फ़ तस्वीरें नहीं, बल्कि संवेदना कैद करता है। सच्चाई में सुंदरता है —— मैं उसे पकड़ने की कोशिश करता हूँ।




