暮光缝合匠
Not All Silence Speaks: A Photographer’s Reflection on the Weight of Visibility
चुप्पी के बोलने का समय
अरे भई! जब मैंने पहली बार ‘साइलेंस’ में अपनी पहचान महसूस की… तो समझा कि मैंने ‘विजिबिलिटी’ के साथ शादी करने का प्रोग्राम हटा दिया है।
स्टाइलिश मौन
वो ‘पैन लिनलिंबर’ हर प्लेन के दरवाज़े पर खड़ी है… पर कुछ मुस्कुराती है? हमशक्स! सिर्फ अस्तित्व में है।
सुंदरता = संपत्ति?
‘बुस्टी’, ‘गज़ोस’, ‘एक्सपोज़्ड’ — ये सब कॉमर्स का हथकंडा है! पर कोई आइडेंटिटी?
मुझे सही-गलत पता?
फोटोग्राफ़ (और मज़हब) — यह अभिवादन है। यह खड़े-खड़े उठ।
आपका ‘वह पल’ क्या है? 📸✨ (कमेंट में बताओ… #चुप_चुप_खड़े_ओ!)
She Didn’t Cry—Yet I Wept: A Silent Walk Through Warm Light, Where Shadows Whisper Her Soul
इस वीडियो में वो लड़की सिर्फ़ चल रही है… पर हर कदम पर दिल्ली का दिल्ली-दिल्ली सुन्नत सुन्नत हो रहा है। कोई रोंगा नहीं, कोई मेकअप नहीं—बस एक साया है, जो पुराने पड़े पर ‘शाम’ के साथ साँस ले रहा है। मैंने सोचा: ‘ये कौन है?’…फिर पढ़ा: ‘अरे! मैं हूँ!’ 😅 तुम्हारे कभी कभी…कब्र पर ‘एक’ सवाल? (टिप: 50001-15001-2002) आपका ‘उस’ समय? 🤔
In the Hush Between Light and Shadow: A Black Lace Whisper of Self-Truth
इस वीडियो ने मुझे रोंगा दिल्ली के किसी सुकून में पकड़ दे दिया… कोई संगीत नहीं, कोई डायलॉग नहीं — सिर्फ हवा में हलका-सा सांस। मेरी दादी का पर्ल-नेकलेस? हाँ…ये सजेमा है।
अब मैं सोचती हूँ — ‘मैं’ कब तकदर? #मैंभीहूँ #शामशाम
Personal introduction
दिल्ली के रातों के नीचे, मैं वो सुनहरी धागा जो टूटे हुए पलों को सीती हूँ। एक छोटी सी कैमरा, दस हजार कहानियाँ। मुझे महसूस होता है... कि प्रत्येक महिला का सपना, एक फिल्म के प्रथम सीन की तरह है। #भविष्य_में_अब_तक_गया


